श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.1.6 
 
 
निर्गुणोऽपि ह्यजोऽव्यक्तो भगवान्प्रकृते: पर: ।
स्वमायागुणमाविश्य बाध्यबाधकतां गत: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  ईश्वर विष्णु सदा भौतिक गुणों से परे रहने वाले हैं इसलिए उन्हें निर्गुण कहा जाता है। अजन्मे होने के कारण उनका शरीर राग और द्वेष से प्रभावित नहीं होता है। यद्यपि भगवान सदैव भौतिक संसार से ऊपर हैं, किंतु अपनी आध्यात्मिक (परा) शक्ति से वे प्रकट हुए और एक बद्ध जीव की तरह उन्होंने कर्तव्यों और दायित्वों (बाध्यताओं) को ऊपर से स्वीकार करके एक सामान्य मनुष्य की तरह कार्य किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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