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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 1: समदर्शी भगवान्
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श्लोक 46
श्लोक
7.1.46
तावत्र क्षत्रियौ जातौ मातृष्वस्रात्मजौ तव ।
अधुना शापनिर्मुक्तौ कृष्णचक्रहतांहसौ ॥ ४६ ॥
अनुवाद
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उनके तीसरे जन्म में, वही जय और विजय क्षत्रिय कुल में तुम्हारी मौसी के पुत्र तुम्हारे मौसेरे भाइयों के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान कृष्ण ने उन्हें अपने सुदर्शन चक्र से मार डाला, और इससे उनके सारे पाप नष्ट हो गए, और वे अब अभिशाप से मुक्त हो गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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