श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  7.1.43 
 
 
तं सर्वभूतात्मभूतं प्रशान्तं समदर्शनम् ।
भगवत्तेजसा स्पृष्टं नाशक्नोद्धन्तुमुद्यमै: ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  सभी जीवों के परमात्मा भगवान् गंभीर, शांतिपूर्ण और सभी के प्रति समान हैं। चूँकि महान भक्त प्रह्लाद भगवान की शक्ति द्वारा सुरक्षित थे, इसलिए हिरण्यकशिपु उन्हें मारने के लिए बार-बार यत्न करने पर भी असमर्थ रहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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