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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 1: समदर्शी भगवान्
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श्लोक 42
श्लोक
7.1.42
हिरण्यकशिपु: पुत्रं प्रह्लादं केशवप्रियम् ।
जिघांसुरकरोन्नाना यातना मृत्युहेतवे ॥ ४२ ॥
अनुवाद
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भगवान विष्णु के महान भक्त अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकशिपु ने उसे तमाम तरह की यातनाएँ दीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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