श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  7.1.41 
 
 
हतो हिरण्यकशिपुर्हरिणा सिंहरूपिणा ।
हिरण्याक्षो धरोद्धारे बिभ्रता शौकरं वपु: ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान श्री हरि ने नृसिंह देव के रूप में प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का वध किया। जब भगवान गर्भोदक सागर में गिरी हुई पृथ्वी का उद्धार कर रहे थे, तभी हिरण्याक्ष ने उन्हें रोकने की कोशिश की। तब भगवान ने वराह के रूप में प्रकट होकर हिरण्याक्ष का वध कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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