यद्यपि ये चारों महर्षि मरीचि आदि ब्रह्मा के अन्य पुत्रों की अपेक्षा बड़े थे, किन्तु वे पाँच या छ: वर्ष के छोटे-छोटे नंगे बच्चों जैसे प्रतीत हो रहे थे। जय तथा विजय नामक इन द्वारपालों ने जब उन्हें वैकुण्ठलोक में प्रवेश करने का प्रयास करते देखा तो सामान्य बच्चे समझ कर उन्हें प्रवेश करने से मना कर दिया।