श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  7.1.33 
 
 
मातृष्वस्रेयो वश्चैद्यो दन्तवक्रश्च पाण्डव ।
पार्षदप्रवरौ विष्णोर्विप्रशापात्पदच्युतौ ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  नारद मुनि आगे कहते हैं: हे पाण्डव-श्रेष्ठ, तुम्हारी मौसी के पुत्र, तुम्हारे दोनों चचेरे भाई शिशुपाल और दंतवक्र पहले भगवान विष्णु के पार्षद थे, लेकिन ब्राह्मणों के शाप के कारण उन्हें वैकुण्ठ लोक से इस भौतिक जगत में आना पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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