श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  7.1.3 
 
 
इति न: सुमहाभाग नारायणगुणान् प्रति ।
संशय: सुमहाञ्जातस्तद्भ‍वांश्छेत्तुमर्हति ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे सौभाग्यशाली और ज्ञानी ब्राह्मण, इस बात में बहुत संदेह उत्पन्न हो गया है कि नारायण पक्षपातपूर्ण हैं या निष्पक्ष? कृपया ठोस प्रमाण देकर मेरे इस संदेह को दूर करें कि नारायण हमेशा तटस्थ रहते हैं और सभी के प्रति समान हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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