श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  7.1.21 
 
 
एतद्भ्राम्यति मे बुद्धिर्दीपार्चिरिव वायुना ।
ब्रूह्येतदद्भ‍ुततमं भगवान्ह्यत्र कारणम् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  यह विषय बेशक अद्भुत है। मेरी बुद्धि हिल गई है, जैसे तेज हवा चलने से दीपक की लौ हिल जाती है। हे नारद मुनि, आप सब कुछ जानते हैं। कृपया मुझे इस अद्भुत घटना का कारण बताएं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.