श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  7.1.20 
 
 
कथं तस्मिन् भगवति दुरवग्राह्यधामनि ।
पश्यतां सर्वलोकानां लयमीयतुरञ्जसा ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  यह कैसे संभव हुआ कि शिशुपाल और दंतवक्र कई महान व्यक्तियों की उपस्थिति में उस कृष्ण के शरीर में आसानी से प्रवेश कर सके, जिन भगवान की प्रकृति तक पहुँच पाना इतना कठिन है?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.