श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  7.1.18 
 
 
दमघोषसुत: पाप आरभ्य कलभाषणात् ।
सम्प्रत्यमर्षी गोविन्दे दन्तवक्रश्च दुर्मति: ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  शिशुपाल, दमघोषा का सबसे पापी बेटा, जब बहुत छोटा था, बोलना भी ठीक से नहीं जानता था, तभी से भगवान की निंदा करने लगा था और मृत्यु तक श्रीकृष्ण से ईर्ष्या करता रहा। उसी तरह उसका भाई दंतवक्र भी ऐसी आदतें पालता रहा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.