श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  7.1.17 
 
 
एतद्वेदितुमिच्छाम: सर्व एव वयं मुने ।
भगवन्निन्दया वेनो द्विजैस्तमसि पातित: ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे महामुनि, यह सुनने के लिए हम सब उत्सुक हैं कि भगवान् ने इस समय शिशुपाल पर अपनी यह विशेष कृपा क्यों की। मैंने सुना है कि प्राचीन समय में वेन नाम के एक राजा ने भगवान् की निन्दा की थी जिसके लिए सारे ब्राह्मणों ने उसे नरक में भेजा था। शिशुपाल को भी नरक जाना पड़ना चाहिए था। फिर कैसे वो भगवान् में विलीन हो गया?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.