श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 1: समदर्शी भगवान्  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.1.13 
 
 
अत्रैवोदाहृत: पूर्वमितिहास: सुरर्षिणा ।
प्रीत्या महाक्रतौ राजन् पृच्छतेऽजातशत्रवे ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन, पूर्वकाल में जब महाराज युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ कर रहे थे, तब महर्षि नारद ने उनके द्वारा पूछे जाने पर ऐतिहासिक तथ्य सुनाए थे। इन तथ्यों से यह पता चलता है कि भगवान असुरों का वध करते समय भी निष्पक्ष रहते हैं। इस संबंध में महर्षि नारद ने एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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