स एव हि पुन: सर्ववस्तुनि वस्तुस्वरूप: सर्वेश्वर: सकलजगत्कारणकारणभूत: सर्व प्रत्यगात्मत्वात् सर्वगुणाभासोपलक्षित एक एव पर्यवशेषित: ॥ ३८ ॥
अनुवाद
विचार-विमर्श से यह देखा जा सकता है कि परमात्मा यद्यपि विभिन्न प्रकार से प्रकट होते हैं, किन्तु प्रत्येक वस्तु के मूल तत्त्व वे ही हैं। सम्पूर्ण भौतिक शक्ति इस संसार का कारण है, किन्तु यह शक्ति उन्हीं से उद्भूत है, अत: वे ही समस्त कारणों के कारण हैं और बुद्धि तथा इन्द्रियों के प्रकाशक हैं। वे प्रत्येक वस्तु में परमात्मा रूप में देखे जाते हैं। उनके बिना प्रत्येक वस्तु मृत हो जायेगी। परमात्मा रूप में आप परम नियन्ता ही एकमात्र शेष बचे हैं।