पुरा स्वयम्भूरपि संयमाम्भ-
स्युदीर्णवातोर्मिरवै: कराले ।
एकोऽरविन्दात् पतितस्ततार
तस्माद् भयाद्येन स नोऽस्तु पार: ॥ २४ ॥
अनुवाद
सृष्टि के आरम्भ में प्रबल हवा से बाढ़ के पानी में उजाड़ू लहरें उठने लगीं। इनसे इतना भयानक शोर हुआ कि ब्रह्माजी अपने कमल-आसन से प्रलय के पानी में लगभग गिर ही पड़े, लेकिन भगवान् की सहायता से वे बच गए। उसी तरह हम भी भगवान् से इस खतरनाक स्थिति से अपनी रक्षा की आशा करते हैं।