उसके बाद उसे छ: अक्षरों वाले मंत्र (ॐ विष्णवे नम:) का जप करना चाहिए। उसे ॐ को अपने हृदय पर, ‘वि’ को शिरो भाग पर, ‘ष’ को भौहों के बीच, ‘ण’ को चोटी पर और ‘वे’ को नेत्रों के बीच रखना चाहिए। तब मंत्र जपकर्ता ‘न’ अक्षर को अपने शरीर के सभी जोड़ों पर रखे और ‘म’ अक्षर को शस्त्र के रूप में ध्यान केंद्रित करे। इस तरह वह साक्षात मंत्र हो जाएगा। उसके बाद, उसे अंत में ‘म’ में विसर्ग जोड़कर ‘म: अस्त्राय फट्’ इस मंत्र का जप पूर्व दिशा से शुरू करके सभी दिशाओं में करे। इस तरह सभी दिशाएँ इस मंत्र के सुरक्षा कवच से बँध जाएँगी।