त्वं तिग्मधारासिवरारिसैन्य-
मीशप्रयुक्तो मम छिन्धि छिन्धि ।
चक्षूंषि चर्मञ्छतचन्द्र छादय
द्विषामघोनां हर पापचक्षुषाम् ॥ २६ ॥
अनुवाद
हे तेज धार वाली तलवार, तुम श्रीभगवान के हाथों में हो। कृपया मेरे शत्रुओं के सिपाहियों को टुकड़े-टुकड़े कर दो; कृपा करके उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर दो। हे सैकड़ों चन्द्रमण्डलों से अंकित चमकीली ढाल! पापी शत्रुओं की आँखें ढँक दो और उनकी पापी आँखें निकाल लो।