त्वत्तोऽधस्तात्प्रजा: सर्वा मिथुनीभूय मायया ।
मदीयया भविष्यन्ति हरिष्यन्ति च मे बलिम् ॥ ५३ ॥
अनुवाद
जब तुम हजारों-लाखों सन्तानें जन्म दे चुके होगे, तब वे भी मेरी माया के वशीभूत होकर तुम्हारी ही तरह संभोग में लिप्त होंगी। लेकिन, तुम पर और उन पर मेरी कृपा के कारण, वे भी मुझे भक्ति की भेंट दे सकेंगी।