श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 4: प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान् से की गई हंसगुह्य प्रार्थनाएँ  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  6.4.45 
 
 
ब्रह्मा भवो भवन्तश्च मनवो विबुधेश्वरा: ।
विभूतयो मम ह्येता भूतानां भूतिहेतव: ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मा, शिव, मनु और ऊंचे लोकों के अन्य देवता और तुम प्रजापतिगण, जो जनसंख्या वृद्धि कर रहे हो, सब जीवों के लाभार्थ काम कर रहे हो। इस प्रकार मेरी माया शक्ति के अंश स्वरूप, तुम सब मेरे विभिन्न गुणों के अवतार हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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