आराधनं भगवत ईहमाना निराशिष: ।
ये तु नेच्छन्त्यपि परं ते स्वार्थकुशला: स्मृता: ॥ ७४ ॥
अनुवाद
यद्यपि परम पुरुषोत्तम भगवान की उपासना में रत रहने वालों को भगवान से किसी प्रकार की भौतिक इच्छा, यहाँ तक कि मोक्ष की भी इच्छा नहीं रहती, फिर भी भगवान कृष्ण उनकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।