वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य
»
अध्याय 18: राजा इन्द्र का वध करने के लिए दिति का व्रत
»
श्लोक 63
श्लोक
6.18.63
तमूचु: पाट्यमानास्ते सर्वे प्राञ्जलयो नृप ।
किं न इन्द्र जिघांससि भ्रातरो मरुतस्तव ॥ ६३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे राजन! हम बहुत दुखी हैं, इसलिए हाथ जोड़कर इंद्र से निवेदन करते हैं - "हे इंद्र! हम तुम्हारे भाई मरुद्गण हैं। तुम हमें क्यों मार रहे हो?"
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.