हे राजन, सबका सम्मान करने वाले! इन्द्र ने दिति के मंसूबे को समझ लिया, इसलिए वो अपने स्वार्थ के लिए युक्ति सोचने लगा। उसने यह तर्क दिया कि आत्म-रक्षा प्रकृति का पहला नियम है, और इसलिए वो दिति की प्रतिज्ञा को भंग करना चाहता था। इसके लिए वो अपनी मौसी दिति की सेवा में लग गया, जो आश्रम में रह रही थी।