श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 17: माता पार्वती द्वारा चित्रकेतु को शाप  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  6.17.37 
 
 
इति भागवतो देव्या: प्रतिशप्तुमलन्तम: ।
मूर्ध्ना स जगृहे शापमेतावत्साधुलक्षणम् ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  महान् भक्त चित्रकेतु इतना शक्तिमान था कि बदला लेने के लिए माता पार्वती को शाप दे सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और नम्रतापूर्वक शाप स्वीकार कर लिया। उसने भगवान शिव और उनकी पत्नी के सामने अपना सिर झुकाया। यह एक वैष्णव के आदर्श व्यवहार का उदाहरण है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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