देहिनां देहसंयोगाद् द्वन्द्वानीश्वरलीलया ।
सुखं दु:खं मृतिर्जन्म शापोऽनुग्रह एव च ॥ २९ ॥
अनुवाद
परमेश्वर की बाह्य शक्ति के क्रियाकलाप के कारण जीव भौतिक देह के सम्पर्क में बँधकर रहता है। सुख व दुख, जन्म व मृत्यु, शाप व अनुग्रह की दोहरी प्रकृति इस भौतिक जगत में उसके सम्पर्क का स्वाभाविक परिणाम है।