श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 14: राजा चित्रकेतु का शोक  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  6.14.59 
 
 
श्रीशुक उवाच
विलपन्त्या मृतं पुत्रमिति चित्रविलापनै: ।
चित्रकेतुर्भृशं तप्तो मुक्तकण्ठो रुरोद ह ॥ ५९ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने आगे कहा – इस प्रकार अपने प्यारे पुत्र के लिए विलाप करती हुई उनकी पत्नी के साथ राजा चित्रकेतु भी अत्यंत दुख से संतप्त होकर फूट-फूटकर जोर-जोर से रोने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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