ये त्विह वा अन्धावटकुसूलगुहादिषु भूतानि निरुन्धन्ति तथामुत्र तेष्वेवोपवेश्य सगरेण वह्निना धूमेन निरुन्धन्ति ॥ ३४ ॥
अनुवाद
इस जीवन में जो लोग अन्य जीवों को अंधे कुओं, खत्तियों या पहाड़ों की गुफाओं में कैद रखते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद अवट-निरोधन नामक नरक में रखा जाता है। वहाँ उन्हें स्वयं अंधे कुओं में धकेल दिया जाता है, जहाँ जहरीले धुएं से उनका दम घुटता है और वे भयानक पीड़ाओं को झेलते हैं।