श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 26: नारकीय लोकों का वर्णन  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  5.26.26 
 
 
यस्त्विह वै सवर्णां भार्यां द्विजो रेत: पाययति काममोहितस्तं पापकृतममुत्र रेत:कुल्यायां पातयित्वा रेत: सम्पाययन्ति ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि कोई मूर्ख द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य) अपनी पत्नी को वश में रखने की भोगेच्छा से उसे अपना वीर्य पिलाता है, तो मृत्यु के बाद उसे लालाभक्ष नरक में डाल दिया जाता है। वहाँ उसे वीर्य की नदी में फेंक दिया जाता है और उसे वीर्य पीने के लिए विवश किया जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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