श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 19: जम्बूद्वीप का वर्णन  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  5.19.31 
एवं तव भारतोत्तम जम्बूद्वीपवर्षविभागो यथोपदेशमुपवर्णित इति ॥ ३१ ॥
 
 
अनुवाद
हे मेरे प्रिय राजा परीक्षित, जो भरत महाराज के वंश में श्रेष्ठ हैं, मैंने आपसे भारतवर्ष के द्वीप और उसके आसपास के द्वीपों के बारे में बात की है, जैसा कि मैंने सीखा है। ये द्वीप जम्बूद्वीप के अंतर्गत आते हैं।
 
हे मेरे प्रिय राजा परीक्षित, जो भरत महाराज के वंश में श्रेष्ठ हैं, मैंने आपसे भारतवर्ष के द्वीप और उसके आसपास के द्वीपों के बारे में बात की है, जैसा कि मैंने सीखा है। ये द्वीप जम्बूद्वीप के अंतर्गत आते हैं।
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध पांच के अंतर्गत उन्नीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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