श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 19: जम्बूद्वीप का वर्णन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  5.19.2 
आर्ष्टिषेणेन सह गन्धर्वैरनुगीयमानां परमकल्याणीं भर्तृभगवत्कथां समुपश‍ृणोति स्वयं चेदं गायति ॥ २ ॥
 
 
अनुवाद
गंधर्वों का एक समूह हमेशा भगवान रामचंद्र की महिमा का गुणगान करता रहता है। वह गुणगान सदैव अत्यंत शुभ होता है। हनुमानजी और किंपुरुषवर्ष के प्रधान पुरुष आर्ष्टिषेण, अत्यंत मनोयोग से इस गुणगान को लगातार सुनते हैं। हनुमानजी निम्न मंत्रों का जाप करते हैं।
 
गंधर्वों का एक समूह हमेशा भगवान रामचंद्र की महिमा का गुणगान करता रहता है। वह गुणगान सदैव अत्यंत शुभ होता है। हनुमानजी और किंपुरुषवर्ष के प्रधान पुरुष आर्ष्टिषेण, अत्यंत मनोयोग से इस गुणगान को लगातार सुनते हैं। हनुमानजी निम्न मंत्रों का जाप करते हैं।
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.