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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना
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श्लोक 9
श्लोक
4.7.9
सन्धीयमाने शिरसि दक्षो रुद्राभिवीक्षित: ।
सद्य: सुप्त इवोत्तस्थौ ददृशे चाग्रतो मृडम् ॥ ९ ॥
अनुवाद
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जब दक्ष के देह पर जानवर का सिर लगाया गया तो दक्ष को तुरन्त होश आ गया और जैसे ही वो नींद से जागा, उसने अपने सामने भगवान शिव को खड़े देखा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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