श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना  »  श्लोक 60
 
 
श्लोक  4.7.60 
 
 
एतद्भगवत: शम्भो: कर्म दक्षाध्वरद्रुह: ।
श्रुतं भागवताच्छिष्यादुद्धवान्मे बृहस्पते: ॥ ६० ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय बोले : हे विदुर, मैंने बृहस्पति के शिष्य और परम भक्त उद्धव से शिव द्वारा तबाह किए गए दक्ष-यज्ञ की यह कथा सुनी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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