श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना  »  श्लोक 55
 
 
श्लोक  4.7.55 
 
 
मैत्रेय उवाच
एवं भगवतादिष्ट: प्रजापतिपतिर्हरिम् ।
अर्चित्वा क्रतुना स्वेन देवानुभयतोऽयजत् ॥ ५५ ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय मुनि बोले- इस प्रकार समस्त प्रजापतियों के अग्रणी दक्ष ने भगवान से अच्छे से निर्देश मिलने के पश्चात् भगवान विष्णु की पूजा की। विधिपूर्वक यज्ञ यज्ञोत्सव सम्पन्न करके उनकी पूजा करने के बाद उन्होंने अलग से ब्रह्मा और शिव की पूजा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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