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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना
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श्लोक 22
श्लोक
4.7.22
तमुपागतमालक्ष्य सर्वे सुरगणादय: ।
प्रणेमु: सहसोत्थाय ब्रह्मेन्द्रत्र्यक्षनायका: ॥ २२ ॥
अनुवाद
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भगवान विष्णु जैसे ही दृष्टिगोचर हुए, वहाँ उपस्थित ब्रह्मा, शिव, गंधर्व तथा अन्य सभी भक्तों ने उनके सामने सीधे गिरकर प्रणाम किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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