श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  4.7.18 
 
 
अध्वर्युणात्तहविषा यजमानो विशाम्पते ।
धिया विशुद्धया दध्यौ तथा प्रादुरभूद्धरि: ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  महामुनि मैत्रेय ने विदुर से कहा: हे विदुर, जैसे ही राजा दक्ष ने यज्ञ में शुद्धचित्त से यजुर्वेद के मंत्रोच्चारण के साथ घी की आहुति डाली, वैसे ही भगवान् विष्णु अपने आदि रूप नारायण के रूप में वहाँ प्रकट हो गये।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.