श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति » अध्याय 20: महाराज पृथु के यज्ञस्थल में भगवान् विष्णु का प्राकट्य » श्लोक 11 |
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| | श्लोक 4.20.11  | उदासीनमिवाध्यक्षं द्रव्यज्ञानक्रियात्मनाम् ।
कूटस्थमिममात्मानं यो वेदाप्नोति शोभनम् ॥ ११ ॥ | | | अनुवाद | जो कोई भी यह जानता है कि पांच स्थूल तत्वों, कर्मेन्द्रियों, ज्ञानेन्द्रियों और मन से निर्मित यह भौतिक शरीर केवल स्थिर आत्मा द्वारा संचालित होता है, वह भौतिक बंधन से मुक्ति पाने योग्य है। | | जो कोई भी यह जानता है कि पांच स्थूल तत्वों, कर्मेन्द्रियों, ज्ञानेन्द्रियों और मन से निर्मित यह भौतिक शरीर केवल स्थिर आत्मा द्वारा संचालित होता है, वह भौतिक बंधन से मुक्ति पाने योग्य है। |
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