जब नागरिकों को राजा का कहीं भी पता नहीं चला तो वो बहुत निराश हो गए और नगर को लौट आए, जहाँ पर राजा के न होने के कारण देश के सभी महान ऋषि एकत्रित थे। आँसू भरी आँखों से नागरिकों ने ऋषियों को प्रणाम किया और विस्तारपूर्वक बताया कि वो राजा को कहीं भी नहीं खोज पाए।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध चार के अंतर्गत तेरहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।