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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 13: ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन
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श्लोक 45
श्लोक
4.13.45
कस्तं प्रजापदेशं वै मोहबन्धनमात्मन: ।
पण्डितो बहु मन्येत यदर्था: क्लेशदा गृहा: ॥ ४५ ॥
अनुवाद
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इस प्रकार का निकम्मा पुत्र कौन समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति चाहेगा? ऐसा पुत्र केवल जीव के लिए मोह का बंधन होता है और वह व्यक्ति के घर को दुखी बनाता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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