वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 13: ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन
»
श्लोक 38
श्लोक
4.13.38
सा तत्पुंसवनं राज्ञी प्राश्य वै पत्युरादधे ।
गर्भं काल उपावृत्ते कुमारं सुषुवेऽप्रजा ॥ ३८ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
यद्यपि रानी को कोई पुत्र न था, परंतु पुत्र उत्पन्न करने वाली शक्ति वाली उस खीर को खाने से वह अपने पति के सान्निध्य में रहकर गर्भवती हो गई और समय बीतने पर उसने एक पुत्र को जन्म दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.