वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 13: ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन
»
श्लोक 34
श्लोक
4.13.34
तांस्तान् कामान् हरिर्दद्याद्यान् यान् कामयते जन: ।
आराधितो यथैवैष तथा पुंसां फलोदय: ॥ ३४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
कर्मकाण्ड में यज्ञ करने वाला व्यक्ति जिस मनोकामना से भगवान की पूजा करता है, वह मनोकामना पूर्ण होती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.