तमूचुर्विस्मितास्तत्र यजमानमथर्त्विज: ।
हवींषि हूयमानानि न ते गृह्णन्ति देवता: ॥ २६ ॥
अनुवाद
तब यज्ञ में लगे पुरोहितोंने राजा अंग से कहा: हे राजा, हम यज्ञ में विधिवत शुद्ध घी की आहुति दे रहे हैं, लेकिन हमारे सारे प्रयत्नों के बावजूद देवता उसे स्वीकार नहीं कर रहे।