श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 13: ध्रुव महाराज के वंशजों का वर्णन  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  4.13.17 
 
 
उल्मुकोऽजनयत्पुत्रान्पुष्करिण्यां षडुत्तमान् ।
अङ्गं सुमनसं ख्यातिं क्रतुमङ्गिरसं गयम् ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  उल्मुक के बारह पुत्रों में से, छह पुत्र उसकी पत्नी पुष्करिणी से उत्पन्न हुए। वे सभी बहुत अच्छे पुत्र थे। उनके नाम अंग, सुमना, ख्याति, क्रतु, अंगिरा और गय थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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