जडान्धबधिरोन्मत्तमूकाकृतिरतन्मति: ।
लक्षित: पथि बालानां प्रशान्तार्चिरिवानल: ॥ १० ॥
अनुवाद
राह चलते अल्पज्ञानी लोगों को उत्कल मूर्ख, अंधा, गूँगा, बहरा और पागल सा लगता था, परन्तु वह वास्तव में ऐसा नहीं था। वह उस अग्नि के समान था जो राख से ढकी होने के कारण जलती तो है पर लपटों के बिना।