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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 12: ध्रुव महाराज का भगवान् के पास जाना
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श्लोक 47
श्लोक
4.12.47
महत्त्वमिच्छतां तीर्थं श्रोतु: शीलादयो गुणा: ।
यत्र तेजस्तदिच्छूनां मानो यत्र मनस्विनाम् ॥ ४७ ॥
अनुवाद
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ध्रुव महाराज के इस आख्यान को सुनने से व्यक्ति उनके सदृश उत्तम गुणों को प्राप्त करता है। जो कोई महानता, तेज या बड़प्पन चाहता है, उसके लिए उसे प्राप्त करने का यही उपाय है। जो विचारवान पुरुष सम्मान चाहते हैं, उनके लिए यही उचित साधन है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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