श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 12: ध्रुव महाराज का भगवान् के पास जाना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  4.12.38 
 
 
इत्युत्तानपद: पुत्रो ध्रुव: कृष्णपरायण: ।
अभूत्‍त्रयाणां लोकानां चूडामणिरिवामल: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार पूर्ण कृष्णभावनाभावित इत्र २४ वर्ष तक कठोर तपस्या करने के बाद महाराज उत्तानपाद के अति सम्माननीय पुत्र ध्रुव महाराज ने तीनों लोकों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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