मैत्रेय उवाच
सेयं भगवतो माया यन्नयेन विरुध्यते ।
ईश्वरस्य विमुक्तस्य कार्पण्यमुत बन्धनम् ॥ ९ ॥
अनुवाद
श्री मैत्रेय जी ने कहा: कुछ बद्ध जीव यह सिद्धान्त प्रस्तुत करते हैं कि परब्रह्म या भगवान को माया के द्वारा जीता जा सकता है, किन्तु साथ ही उनका यह भी मानना है कि वे अबद्ध हैं। यह समस्त तर्क के विपरीत है।