श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 7: विदुर द्वारा अन्य प्रश्न  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.7.4 
 
 
अस्राक्षीद्भगवान् विश्वं गुणमय्यात्ममायया ।
तया संस्थापयत्येतद्भूय: प्रत्यपिधास्यति ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने प्रकृति के तीनों गुणों की स्वसंचालित शक्ति द्वारा इस ब्रह्मांड का निर्माण करवाया। उसी शक्ति द्वारा वह सृष्टि का पालन करते हैं और फिर उसे बार-बार नष्ट भी करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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