अस्राक्षीद्भगवान् विश्वं गुणमय्यात्ममायया ।
तया संस्थापयत्येतद्भूय: प्रत्यपिधास्यति ॥ ४ ॥
अनुवाद
भगवान ने प्रकृति के तीनों गुणों की स्वसंचालित शक्ति द्वारा इस ब्रह्मांड का निर्माण करवाया। उसी शक्ति द्वारा वह सृष्टि का पालन करते हैं और फिर उसे बार-बार नष्ट भी करते हैं।