वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 7: विदुर द्वारा अन्य प्रश्न
»
श्लोक 34
श्लोक
3.7.34
दानस्य तपसो वापि यच्चेष्टापूर्तयो: फलम् ।
प्रवासस्थस्य यो धर्मो यश्च पुंस उतापदि ॥ ३४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
कृपया दान और तपस्या के तथा जलाशय खुदवाने के कामना वाले फलों का भी वर्णन करें। कृपया घर से दूर रहने वालों की स्थिति और आपदा से पीड़ित मनुष्य के कर्तव्य का भी वर्णन करें।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.