शब्दों, मन और अहंकार समेत उनके संबंधित नियंत्रक देवता, पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान को जानने में असफल रहे हैं। इसीलिए हमें अपने विवेक का उपयोग करते हुए उन्हें श्रद्धापूर्वक नमस्कार करना चाहिए।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध तीन के अंतर्गत छठा अध्याय समाप्त होता है ।