श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.5.8 
 
 
यैस्तत्त्वभेदैरधिलोकनाथो
लोकानलोकान् सह लोकपालान् ।
अचीक्लृपद्यत्र हि सर्वसत्त्व-
निकायभेदोऽधिकृत: प्रतीत: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  सारे राजाओं के सबसे बड़े राजा ने अलग-अलग लोकों तथा निवास स्थलों की रचना की है जहाँ जीव प्रकृति के गुणों और कर्म के आधार पर स्थित होते हैं तथा उसने उनके अलग-अलग शासक और राजाओं की रचना की है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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