श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  3.5.49 
 
 
यावद्बलिं तेऽज हराम काले
यथा वयं चान्नमदाम यत्र ।
यथोभयेषां त इमे हि लोका
बलिं हरन्तोऽन्नमदन्त्यनूहा: ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे अजन्में प्रभु, आप हमें वे उपाय बताइए जिनसे हम आपको सब प्रकार के स्वादिष्ट अन्न और वस्तुएँ अर्पित कर सकें जिससे हम और इस संसार के सभी जीव बिना किसी बाधा के अपना पोषण कर सकें और आपके और अपने लिए आवश्यक संसाधनों का संचय कर सकें।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.