यावद्बलिं तेऽज हराम काले
यथा वयं चान्नमदाम यत्र ।
यथोभयेषां त इमे हि लोका
बलिं हरन्तोऽन्नमदन्त्यनूहा: ॥ ४९ ॥
अनुवाद
हे अजन्में प्रभु, आप हमें वे उपाय बताइए जिनसे हम आपको सब प्रकार के स्वादिष्ट अन्न और वस्तुएँ अर्पित कर सकें जिससे हम और इस संसार के सभी जीव बिना किसी बाधा के अपना पोषण कर सकें और आपके और अपने लिए आवश्यक संसाधनों का संचय कर सकें।